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Friday, April 9, 2021

मूवी रिव्यू: कितना गुदगुदा पाएगी आदर जैन-जैकी श्रॉफ की 'हेलो चार्ली'

रेणुका व्यवहारे रणबीर कपूर और करीना कपूर खान की बुआ के बेटे ने साल 2017 में फिल्म 'कैदी बैंड' से बॉलिवुड में डेब्यू किया था। इस फिल्म को दर्शकों ने बिल्कुल नकार दिया था। अब लगभग 4 साल बाद आदर एक बार फिर '' के जरिए फिल्मों में वापसी करने जा रहे हैं। फिल्म में आदर जैन के साथ , राजपाल यादव और दर्शन जरीवाला जैसे बड़े कलाकार हैं फिर भी यह फिल्म आपको कितना हंसा पाएगी, यह कहना मुश्किल ही है। कहानी: फिल्म की कहानी चिराग रस्तोगी उर्फ चार्ली (आदर जैन) के बारे में है जो इंदौर से मुंबई यूं ही बिना किसी प्लान के सफल होने के लिए आ गया है। उनके अपने मरहूम पिता का कर्ज उतारना है। जल्दी से पैसा कमाने के लिए चार्ली एक काम अपने हाथ में लेता है जिसमें उसे एक गोरिल्ला को मुंबई से दीव तक पहुंचाना है। अब इसमें चार्ली को पैसा तो मिल रहा है मगर गोरिल्ला के ड्रेस में फरार उद्योगपति मकवाना (जैकी श्रॉफ) है जो कई बैंकों को धोखा देकर देश से बाहर फरार होना चाहता है। फिल्म अजीब कंडिशन तब आती है जब गोरिल्ला की ड्रेस में मकवाना के साथ ही कहानी में सर्कस के असली गोरिल्ला की एंट्री होती है। आगे क्या-क्या होता है और मकवाना भाग पाता है या नहीं, इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी। रिव्यू: चार्ली और मकवाना मुंबई से दीव तक का लंबा सफर ट्रक में शुरू होता है तो आपको फिल्म में इंट्रेस्ट जगता है। इस सफर में चार्ली गोरिल्ला बने मकवाना से खूब बातें करता है और जवाब में जैकी श्रॉफ खूब आखें नचाते हैं। इस सफर में कई नए किरदार शामिल होते जाते हैं जो जबरन कहानी को लंबा खींचने लगते हैं और फिल्म यहीं से बोझिल होने लगती है। आपको पता है कि फिल्म को किस दिशा में जाना चाहिए मगर डायरेक्टर हर बार कहानी को पटरी से उतार देते हैं। शायद डायरेक्टर इस बात को भूल गए हैं कि एक अच्छी कॉमिडी फिल्म बनाने के लिए सबसे पहले एक बेहतरीन राइटिंग और कॉमिक टाइमिंग की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए धमाल, गोलमाल, नो एंट्री जैसी फिल्मों की कहानी भी कुछ खास नहीं थीं मगर चुस्त स्क्रिप्ट और कॉमिडी टाइमिंग के कारण इन्हें पसंद किया गया था। ऐसी केमिस्ट्री फिल्म में आदर जैन और जैकी श्रॉफ के बीच नहीं दिखाई देती है। जैकी श्रॉफ से ज्यादा आदर जैन को अपनी ऐक्टिंग पर काम किए जाने की जरूरत है। अच्छे लुक्स के बावजूद वह हर बार केवल रणबीर कपूर की ही याद दिलाते रहते हैं। उनकी आवाज, एक्सप्रेशन अपने कजिन रणबीर से काफी मिलते-जुलते हैं मगर वह ऐक्टिंग रणबीर जैसी नहीं कर पाते हैं। अपने छोटे से किरदार में अच्छी लगी हैं। राजपाल यादव, दर्शन जरीवाला, सिद्धांत कपूर और श्लोका पंडित के पास करने के लिए कुछ खास नहीं था। इसलिए एक बार फिर आदर जैन को ऑडियंस की ओर से निराशा ही हाथ लगेगी। क्यों देखें: वीकेंड पर कुछ भी नहीं हो देखने को तब ही देखें।


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