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Wednesday, October 6, 2021

आर्यन खान के पास नहीं मिला कोई ड्रग्स, फिर भी NCB कस्टडी में क्यों भेजे गए?

लेने और खरीद-फरोख्त करने के आरोप में नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो () ने के बेटे आर्यन () सहित कई लोगों को मुंबई में एक क्रूज शिप से गिरफ्तार किया है। कोर्ट में ने साफ कहा है कि आर्यन के पास से कोई ड्रग्स नहीं मिला है। हालांकि आर्यन के दोस्त अरबाज मर्चेंट के पास से केवल 6 ग्राम चरस जरूर बरामद की गई थी। अब सवाल यह है कि इसके बाद भी आर्यन और अरबाज को एनसीबी की कस्टडी में क्यों रखा जा रहा है? आर्यन का स्टेटमेंट पढ़ते हुए सतीश मानशिंदे ने कहा, 'पंचनामा में साफ है कि मेरे पास से मेरे मोबाइल फोन के अलावा कुछ भी जब्त नहीं किया गया है। मेरे दोस्त को इसलिए अरेस्ट किया गया क्योंकि उसके पास से 6 ग्राम चरस मिला जिससे मेरा कोई संबंध नहीं है। जिस ड्रग्स का जिक्र रिमांड लेने के लिए किया जा रहा है वो भी हमारे पास से नहीं मिला है। मुझे इस जब्त किए ड्रग्स से नहीं जोड़ा जा सकता है।' इसके जवाब में एनसीबी की तरफ से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा, 'केवल आर्यन के पास से ड्रग्स नहीं मिला इसका मतलब यह नहीं कि वह बेगुनाह हैं। उनके वॉट्सऐप से कुछ ड्रग पेडलर्स के साथ चैट्स मिली हैं। अभी उनके पेमेंट मोड्स और जो कोड यूज किए गए थे, इस पर जांच चल रही है। सभी आरोपियों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ किए जाने की जरूरत है। इंटरनैशनल ट्रांजैक्शंस की जांच की जानी चाहिए। किसी व्यक्ति पास से भले ही कमर्शल क्वॉन्टिटी में ड्रग्स नहीं मिली हो मगर यह कहां से आ रही है इसका पता लगाया जाना जरूरी है।' अरबाज मर्चेंट के वकील तारिक सईद ने दलील देते हुए कहा, 'पंचनामा में कहा गया है कि आर्यन के पास से कुछ नहीं मिला। साथ ही दावा किया गया है कि अरबाज के पास से 6 ग्राम चरस मिला है। लेकिन जो एमडीएमए और कोकीन मिला है उससे इनका कोई संबंध नहीं है। क्या एनसीबी केवल उन दो लड़कों से ही पूछताछ करेगी जिनमें से एक के पास कुछ नहीं जबकि दूसरे के पास केवल 6 ग्राम चरस मिला है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इसका वह इस्तेमाल करने वाले थे?' इस मुद्दे पर दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील विवेक सूद कहते हैं, 'साल 2001 में एनडीपीएस ऐक्ट में बदलाव किया गया है जिसमें ड्रग्स की मात्रा में अंतर किया गया है। 2001 से पहले ड्रग्स की मात्रा में कोई अंतर नहीं किया गया था। इसे ऐसे मानें कि अगर 2001 से पहले मेरे पास 1 ग्राम ड्रग्स मिला है तो उसे वैसा ही माना जाएगा जैसे किसी के पास 1000 किलोग्राम ड्रग्स हो। तब मात्रा से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि किसी के पास कितना ड्रग्स मिला है। तब ड्रग्स लेने वाले और उसका व्यापार करने वाले को एक जैसा माना जाता था।' विवेक सूद ने आगे कहा, 'अब इसमें अंतर किया गया है और आपको सजा इस आधार पर मिलेगी कि आपके पास ड्रग्स कितनी मात्रा में मिला है। अब कानून में ड्रग्स इस्तेमाल करने वाले और उसका व्यापार करने वाले में अंतर किया गया है। जो लोग यह तर्क देते हैं कि ड्रग्स इस्तेमाल करने वाले को पीड़ित माना जाए और उन्हें सजा नहीं देनी चाहिए तो मेरा कहना यह है कि उन्हें सजा मिलनी चाहिए वरना युवा ड्रग्स के अंधे कुएं में चले जाएंगे।' आर्यन को एनसीबी की कस्टडी में भेजे जाने पर सुप्रीम कोर्ट के वकील विवेक नारायण शर्मा कहते हैं, 'आर्यन को एनसीबी की कस्टडी में इसलिए भेजा गया क्योंकि एजेंसी ने कोर्ट में दावा किया कि आर्यन के इंटरनैशनल ड्रग ट्रैफिकिंग से संबंध हो सकते हैं। ऐसे मामलों में एजेंसी को कस्टडी मांगने का अधिकार है जो 3 से 7 दिन की हो सकती है और इसमें आर्यन जमानत मांग सकते हैं। इस केस में आर्यन के दोस्त के पास से भी केवल 6 ग्राम चरस मिली है जिसे कोर्ट में 'बहुत कम मात्रा में' ही माना जाएगा।' उन्होंने आगे कहा, 'आर्यन के पास से कुछ नहीं मिला है। कानून के हिसाब से ड्रग्स का इस्तेमाल करना अपराध है और सजा ड्रग्स की मात्रा के हिसाब से मिलेगी। ड्रग्स का इस्तेमाल आप अपने खिलाफ कर रहे हैं जबकि ड्रग ट्रैफिकिंग समाज के खिलाफ किया गया अपराध होता है। ड्रग्स के इस्तेमाल पर आपके ऊपर एनडीपीएस ऐक्ट की धारा 27 के तहत कार्रवाई की जाएगी जबकि इसका व्यापार करने के लिए आप पर धारा 27ए के तहत कार्रवाई की जाएगी। अभी तक यह पता नहीं चला है कि आर्यन मेडिकल टेस्ट में यह साबित हुआ है या नहीं कि उन्होंने ड्रग्स ली थी। इसलिए उन्हें इंटरनैशनल ड्रग ट्रैफिकिंग से लिंक होने के आधार पर जमानत नहीं दी गई है जैसा कि एनसीबी ने दावा किया है।'


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