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Saturday, October 2, 2021

KBC 13: काम के लिए दर-दर भटकते थे पंकज त्रिपाठी, होटल में बने कुक, सुनाई स्ट्रगल की कहानी

'कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों'..यह कहावत ऐक्टर पंकज त्रिपाठी () पर एकदम फिट बैठती है। बिहार के एक किसान परिवार में जन्में पंकज त्रिपाठी ने सोचा नहीं था कि कभी ऐसा भी वक्त आएगा जब उनके आगे फिल्म ऑफर्स की लाइन लगेगी। लोग उन्हें साइन करने के लिए घर के पार्किंग एरिया आ जाएंगे। और आज ऐसा ही वक्त है। आज पंकज त्रिपाठी की गिनती बॉलिवुड के सबसे डिमांडिग ऐक्टर्स में होती है। लेकिन यहां तक पहुंचने में उन्हें बहुत स्ट्रगल करना पड़ा। पंकज त्रिपाठी साल 2004 में मुंबई आ गए थे, लेकिन पहला बड़ा ब्रेक 2012 में फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' (Gangs Of Wasseypur) से मिला। 8 सालों तक () करते रहे, जिसका खुलासा उन्होंने हाल ही 'कौन बनेगा करोड़पति 13' () में किया। पंकज त्रिपाठी शो के 'शानदार शुक्रवार' स्पेशल एपिसोड में ऐक्टर प्रतीक गांधी (Pratik Gandhi) के साथ पहुंचे थे। दोनों ऐक्टरों ने जहां अपनी-अपनी चैरिटी संस्था के लिए गेम शो खेलकर पैसे जीते, वहीं स्ट्रगल की कहानी भी सुनाई। 'वाइफ के कारण मेरे संघर्ष में अंधेरी स्टेशन शामिल नहीं हुआ' पंकज त्रिपाठी ने बताया कि 2004 से 2012 के बीच जो 8 सालों का वक्त था, उस दौरान उन्हें पता ही नहीं था कि वह क्या कर रहे हैं। लेकिन उनका स्ट्रगल सिर्फ वाइफ की बदौलत आसान हो पाया। उस वक्त को याद करते हुए पंकज त्रिपाठी ने कहा, 'जब लोग आज मुझसे पूछते हैं कि आपके स्ट्रगल के दिन कैसे रहे तो मैं सोचता हूं कि अच्छा वो मेरा स्ट्रगलिंग पीरियड था। उस वक्त मुझे पता ही नहीं था कि वह मेरे मुश्किल दिनों का दौर है। मुझे उन मुश्किलों का अहसास ही नहीं हुआ क्योंकि मेरी वाइफ ने बच्चों को सिखाया कि हमारी जरूरतें सीमित हैं। हम एक छोटे से घर में रहते थे। वह कमाती थी और इसलिए मैं आराम से रहता था। मेरे संघर्ष में अंधेरी स्टेशन पर सोना शामिल नहीं हुआ, सिर्फ उनकी वजह से।' '6 सालों तक घूमता रहा, मिन्नतें करता-ऐक्टिंग करवा लो' पंकज त्रिपाठी ने यह भी बताया कि वह 6 सालों तक बेरोजगार रहे। कोई कमाई नहीं की। उस दौरान सिर्फ पत्नी ही घर चला रही थीं। यह वक्त 2004 से 2010 के बीच का था। पंकज त्रिपाठी ने बताया कि जहां वाइफ घर के सारे खर्च उठाती थीं, वहीं वह अंधेरी में काम की तलाश में फिरते थे। लोगों से मिन्नते करते थे कि कोई ऐक्टिंग करवा लो, कोई ऐक्टिंग करवा लो। लेकिन उस वक्त किसी ने नहीं सुना और आज मुझे मेरे पार्किंग एरिया में ही फिल्में ऑफर की जाती हैं। 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' से चमकी किस्मत बता दें कि पंकज त्रिपाठी ने नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से ग्रैजुएट होने के बाद 2004 में मुंबई का रुख किया। पहले वह एक ऐड में नजर आए और इसके बाद फिल्म 'रन' में एक छोटे से रोल में दिखे। हालांकि इस फिल्म में उन्हें कोई क्रेडिट नहीं दिया गया था। कुछ सालों के स्ट्रगल के बाद अनुराग कश्यप की फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' से पंकज त्रिपाठी की किस्मत खुली। पटना के एक होटेल में कुक थे पंकज पंकज त्रिपाठी ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने ऐक्टर बनने से पहले एक होटेल में काम किया था। वह पटला के एक होटेल में कुक थे। यह बात सुनकर अमिताभ बच्चन हैरान रह गए। अमिताभ ने जब पंकत त्रिपाठी और प्रतीक गांधी से पूछा कि क्या उन्हें खाना बनाना आता है या नहीं तो पंकज त्रिपाठी ने कहा, 'मैं प्रफेशनल कुक भी रहा हूं। पटना के एक होटेल में था मैं। नाइट की ड्यूटी करता था और दिन में थिअटर की रिहर्सल करता था।'


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