sunny deol childhood pictures: सनी देओल फिल्मी पर्दे पर भले ही अपने ढाई किलो के हाथ की आजमाइश करते हैं। चीख-चीखकर दुश्मन की रगों से खून सूखा देते हैं। लेकिन असल जिंदगी में वह बेहद शांत और सहज स्वभाव के हैं। उनकी बचपन की इन तस्वीरों को देखेंगे तो आप भी खुद ही समझ जाएंगे।
हर पिता की चाहत होती है कि उसका बेटा उससे दो कदम आगे जाए। बॉलिवुड के ही-मैन धर्मेंद्र ने भी यही सपना देखा था। 19 अक्टूबर 1956 को जब सनी देओल पैदा हुए, तब धर्मेंद्र सुपरस्टार थे। एक सिलेब्रिटी परिवार में पैदा हुए सनी देओल का नाम बचपन में अजय सिंह देओल है। पर्दे पर डेब्यू किया तो सनी देओल बन गए। सनी ने अपने फिल्मी करियर में स्टारडम का वह दौर देखा है, जब दूर-दूर तक उनके टक्कर में कोई नहीं था। उन्होंने इंडस्ट्री के उस भ्रम को भी तोड़ा कि बॉलिवुड में हीरो बनना है तो अच्छा डांस करना पड़ेगा। बात 'ढाई किलो के हाथ' की हो या सौम्य अंदाज की, सनी देओल ने हर तरह के किरदार से दिलों पर राज किया।
पापा धर्मेंद्र का दुलारा बेटा
मौजूदा दौर में सनी देओल अब फिल्मों में बहुत ज्यादा ऐक्टिव नहीं हैं। वह अपने फिल्में प्रड्यूस करते हैं। डायरेक्शन करते हैं। बेटे करण देओल को इंडस्ट्री में इस्टैब्लिश करने के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं। लेकिन इन सभी के साथ ही वह अब माननीय भी हैं। पंजाब के गुरदासपुर से सनी देओल सांसद हैं।
ममता के आंचल में सनी देओल
साल 1982 में सनी देओल ने बॉलिवड में डेब्यू किया था। अमृता सिंह के साथ उनकी फिल्म 'बेताब' रिलीज हुई। 'जब हम जवां होंगे, जाने कहां होंगे...' सनी देओल दिलों में बस गए। पहली ही फिल्म में उन्होंने साबित कर दिया कि वह धर्मेंद्र के बेटे हैं। चेहरे पर मासूमियत। आंखों में प्यार और बाजुओं में बेशुमार ताकत। पर्दे पर सनी का यह अंदाज छा गया।
90 के दशक में राज करते थे सनी देओल
सनी देओल ने 80 के दशक में शुरुआत की और 90 के दशक तक आते-आते वह बॉक्स ऑफिस पर सबसे प्रभावशाली बन गए। 1990 में आई उनकी 'घायल' ने तो जैसे कहर ही बरपाया। हर कोई दीवाना हो गया। सनी देओल को फिल्मफेयर ने बेस्ट ऐक्टर अवॉर्ड दिया। इसके साथ ही उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में स्पेशल जूरी अवॉर्ड मिला।
तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख
साल 1993 में सनी देओल ने एक और बड़ा धमाका किया। 'दामिनी' में एक वकील के किरदार में कोर्ट में उनकी तीखी बहस आज भी याद की जाती है। 'तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख।' इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग ऐक्टर का नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला।
2001 में 'गदर' मचाने वाले सनी का बचपन
नब्बे के दशक में बॉलिवुड में तीनों खान की एंट्री हो चुकी थी। सनी देओल को कड़ी टक्कर मिलनी शुरू हुई। कई आलोचकों का मत था कि सनी देओल अब पहले जैसा जादू नहीं दिखा जाएंगे। लेकिन साल 2001 आई 'गदर- एक प्रेम कथा' ने अलग ही गदर मचा दिया।
कौन कहेगा, आगे इसके ढाई किलो के हाथ होंगे
सनी देओल ने 1985 में पहली बार पिता धर्मेंद्र के साथ पर्दे पर काम किया। फिल्म का नाम था 'सल्तनत', इसके बाद 'डकैत', 'यतीम', 'पाप की दुनिया' की जैसी फिल्म में आईं। साल 1989 में 'त्रिदेव' और 'चालबाज' जैसी फिल्मों ने भी बॉक्स ऑफिस पर खूब राज किया।
दादी का प्यारा पोता
नब्बे के दशक में सनी देओल स्टारडम देखने लायक था। फिल्म में उनकी एक झलक के फैन्स दीवाने थे। सलमान खान का फिल्मी करियर भी जब ढलान पर आ गया तो 'जीत' फिल्म में उन्होंने सनी देओल के सहारे अपनी नैया पार लगाई। नब्बे के दशक में 'घायल', 'लूटेरे', 'डर', 'जीत', 'घातक', 'बॉर्डर' और 'जिद्दी' जैसी फिल्मों ने साबित किया कि इस 'ढाई किलो के हाथ' में अभी बहुत ताकत है।
...और बदल गया सिनेमाई अंदाज
मिलेनियम ईयर 2000 की शुरुआत के बाद सनी देओल का फिल्मी ट्रैक जैसे अचानक से बदल गया। वह ऐक्शन हीरो की इमेज के साथ अब देशभक्ति फिल्मों पर फोकस करने लगे। इसका एक बड़ा कारण 'गदर' की बंपर सफलता रही। सनी देओल ने 2001-2008 तक 'गदर', 'द हीरो', 'इंडियन', 'मां तुझे सलाम' जैसी फिल्मों में चीख-चीखकर देश का नारा खूब बुलंद किया।
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