कुछ दिनों पहले ने अपनी आने वाली फिल्म '' की घोषणा की थी जो कि श्रीलंका के महान बोलर की होगी। लेकिन अपनी घोषणा के तुरंत बाद ही इस फिल्म का तमिल फिल्म इंडस्ट्री में विरोध होना शुरू हो गया। कई बड़ी फिल्म हस्तियों ने मुथैया मुरलीधरन की बायॉपिक के बायकॉट की मांग शुरू कर दी। अब इस विवाद पर मुथैया मुरलीधरन का ऑफिशल स्टेटमेंट आ गया है। एलटीटीई का किया था विरोध दरअसल मुथैया मुरलीधरन ने श्रीलंका की सिविल वॉर के वक्त वहां की सरकार का समर्थन और तमिल आतंकवादी संगठन एलटीटीई का विरोध किया था। उस वक्त के एलटीटीई विरोधी बयानों को आधार बनाकर ही तमिल फिल्म इंडस्ट्री के लोग मुथैया मुरलीधरन की बायॉपिक का विरोध कर कर रहे हैं। अपने ऑफिशल स्टेटमेंट में उन्होंने कहा कि उनकी जिंदगी हमेशा ही विवादों में घिरी रही है और यह उनके लिए कोई नई बात नहीं है। संघर्ष को दिखाएगी '800' मुथैया ने कहा, 'जब प्रॉडक्शन हाउस ने सबसे पहले फिल्म के लिए मुझसे संपर्क किया तो मैं इसके लिए तैयार नहीं था। फिर मैंने सोचा कि यह फिल्म मेरे पैरंट्स के स्ट्रगल, मेरे कोच के योगदान और मेरे जिंदगी के साथ जुड़े लोगों के बारे में बताएगी। मेरे परिवार ने एक चाय के बागान से अपनी जिंदगी शुरू की थी। 30 साल के सिविल वॉर का श्रीलंका में इस इलाके में रहने वाले तमिलों पर बहुत असर पड़ा। फिल्म '800' बताती है कि मैंने इन परेशानियों को कैसे पार किया और क्रिकेट में सफलता पाई।' 'भारत में पैदा होता तो इंडियन टीम में खेलने की कोशिश करता' मुथैया मुरलीधरन ने आगे कहा, 'क्या यह मेरी गलती हैं कि श्रीलंका के तमिल के तौर पर पैदा हुआ? अगर मैं भारत में पैदा हुआ होता तो मैं निश्चित तौर पर इंडियन टीम में शामिल होने की कोशिश करता। चूंकि मैं श्रीलंका की टीम का हिस्सा रहा हूं तो मुझे हमेशा गलत ही समझा गया। एक फालतू विवाद मुझसे जोड़ दिया जाता है कि मैं तमिलों के खिलाफ हूं और इसीलिए इस फिल्म को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।' 'कभी तमिल नरसंहार का सपोर्ट नहीं किया' श्रीलंका सरकार के समर्थन और एलटीटीई के विरोध पर मुथैया ने अपने बयान में कहा, 'मेरे ऊपर कई आरोप लगाए गए हैं कि मैंने नरसंहार का समर्थन किया है। पहली बात जब मैंने 2009 में एक बयान दिया था तो वह मेरी जिंदगी का बेस्ट साल था। यह गलत अंदाजा लगाया गया कि मैं तमिल नरसंहार का जश्न मना रहा हूं। जिस व्यक्ति ने अपनी जिंदगी वॉर जोन के बीच बिताई हो उसके लिए युद्ध खत्म होना एक अच्छी बात है। मुझे खुशी थी कि उन 10 सालों में दोनों ही तरफ से किसी मौत नहीं हुई। मैंने कभी भी हत्याओं का समर्थन नहीं किया है और न कभी करूंगा। सिंहली बहुसंख्यक श्रीलंका में एक अल्पसंख्यक के तौर पर रहते हुए तमिलों ने अपने सम्मान की लड़ाई लड़ी है। मेरे पैरंट्स खुद को दूसरे दर्जे का नागरिक समझते थे और मैं भी समझता था। क्रिकेट में सफलता पाने के बाद मैंने सोचा कि मेरे तमिल साथी भी मेरी तरह आगे बढ़ते हुए सम्मान पाए।'
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