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Thursday, July 2, 2020

सुशांत सिंह राजपूत की वो टॉप फेवरेट फिल्में

सुशांत सिंह राजपूत बॉलिवुड का एक ऐसा नाम है, जिनपर शायद देश का हर दिल कुर्बान है। उनकी दमदार परफॉर्मेंस के लोग तब से कायल हैं, जब वह छोटे पर्दे पर 'पवित्र रिश्ता' में नजर आए थे। फिल्म 'काई पो चो' से सुशांत ने बॉलिवुड में एंट्री मारी और अपनी पहली फिल्म से ही लोगों को दीवाना बना लिया। अपनी ऐक्टिंग और फिल्मों को लेकर उनमें जबरदस्त जुनून था। जब कभी फिल्मफेयर ने उनसे इंटरव्यू लेने की कोशिश की तो वह एक आम बातचीत में तब्दील हो जाता, बिल्कुल वैसे जैसे वह बैठकर अपने किसी दोस्त से बातें कर रहे हों।

फिल्मफेयर से हुई इसी बीतचीत में सुशांत ने उन फेवरेट फिल्मों के बारे में बातें कीं, जिसने उनपर गहरी छाप छोड़ दी। आइए जानें, कौन-कैन सी उनकी फेवरेट फिल्में थीं।

जब मैंने यह फिल्म देखी तो मुझे यह पता था कि यह रियल नहीं है, इसके बावजूद इस फिल्म का मुझपर काफी गहरा प्रभाव पड़ा। फिल्में सपनों की तरह होते हैं। यह पहली बार था जब मैं फिल्मों की तरफ खुद को आकर्षित महसूस करने लगा।

जब मैंने यह फिल्म देखी तो मैं बस राज की तरह बनना चाहता था। राज पॉप्युलर लड़का था, जिसपर लड़कियां फिदा होती थीं, लेकिन उसे सिर्फ एक ही लड़की से प्यार हुआ। वह अमीरजादा लड़का, जिसे पढ़ाई में मन नहीं लगता, लेकिन इसके बावजूद उसके पापा को उसपर गर्व है और उससे प्यार करता है और उसे यूरोप वकेशन पर भेजता है। हालांकि राज अपने प्यार को उस फैमिली से अपनी तरफ नहीं खींच पाता है। यह उस तरह का लड़का था जिसपर मेरी मां को भी बड़ा गर्व होता और मुझे भी। इसलिए मैं कहता हूं कि शाहरुख खान ने मुझे बहुत प्रभावित किया है।

1998 में जो लड़का अपने कॉलेज में खूब फेमस है, कूल जैकेट पहनता है, बास्केटबॉल खेलता है और लड़कियों के बीच काफी पॉप्युलर है, अचानक उसकी मुलाकात एक लड़की से होती है और कहता है- मेरा सिर सिर्फ तीन लोगों के सामने झुकता गै- दुर्गा मां, मेरा मां और फिर वह लड़की के सामने झुकता है।

जिसमें रितिक रोशन के पास वो सबकुछ था जो एक हीरो में होना चाहिए। गुड लुकिंग, शानदार ऐक्टिंग, एक बेहतरीन डांसर और थोड़ा-बहुत ऐक्शन की तरफ भी, हालांकि इस फिल्म में उतना ज्यादा ऐक्शन नहीं था, लेकिन मुझे इसका गाना- सितारों की महफिल ...आज भी याद है और कहो न प्यार है.. जिसे देखकर मुझे लगा था कि wow, मुझे भी ऐक्टर बनना है। इसके बाद से मैं केवल उन कैरक्टर्स पर फिदा रहा, जिसे शाहरुख खान ने निभाया था।

इसके बाद वह फिल्म आई, जिसमें दोनों ऐक्टर्स थे और यह भी वैसी ही फिल्म थी जिनके बारे में हम बातें कर रहे। यूरोप, चॉपर, वो सबकुछ जिनका आप सपना देखते हैं और एक धार्मिक मूल्यों को मानने वाली फैमिली भी। मुझे याद है कि इस फिल्म के बाद मैं फाइनल इयर में था और आईआईटी के लिए बैठने वाला था। सोचिए, जिसका सबकुछ दांव पर लगा हो, जिसे भारत के सबसे बड़े कॉम्पिटिटिव एग्जाम में बैठना है और वह पढ़ाई से ब्रेक ले लेता है। मैं सेल्फ ऑब्सेस्ड नहीं हूं और न ही कभी था, मैंने खुद को आईने में देखा और मैं सूरज हुआ मध्यम वाले पोज़ में लिप सिंक करने लगा।



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