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Friday, June 5, 2020

World Environment Day 2020: अनुष्‍का शर्मा से पंकज त्र‍िपाठी तक, इन सेलेब्‍स ने दी पर्यावरण बचाने की सीख

आज है। हर साल पर्यावरण को सहेजने को लेकर कई तरह के कैंपेन बनते हैं, मगर क्या हम सही मायनों में पर्यावरण की रक्षा कर पा रहे हैं? कोरोना काल के कहर और सायक्लोन की मार के बाद हम सभी यह सोचने पर मजबूर हुए हैं कि कहीं न कहीं कुदरत हमसे नाराज है। हमने जब फिल्म और टीवी स्टार्स से इस मुद्दे पर बात की, तो उन्होंने ने भी माना कि हमें पर्यावरण को सरंक्षित करने के लिए अपने आस -पास के वातावरण ही नहीं बल्कि पशु, पक्षी और पौधों के पार्टी भी संवेदनशील होना पड़ेगा। पशु-पक्षियों को भी इंसानों की तरह ट्रीट करें- अनुष्का शर्मा पर्यावरण को बचाने के लिए सबसे पहले हमें यह समझने की जरूरत है कि इससे जुड़े तमाम लोगों को हमें संजोने होगा। जितना अधिकार इस धरती पर हमारा है, उतना ही पशु, पक्षियों और पौधों का भी है। हम अपने जीवन के सुख के लिए इनका इस्तेमाल नहीं कर सकते। हमें उन्हें भी जीने देना होगा। मैं वर्ल्ड एन्वायरमेंट डे के मौके पर यही कहना चाहूंगी कि धरती के लिए मेरी यही इच्छा है कि काश हम पौधों और जानवरों को भी इंसानों की तरह कुदरत का अहम हिस्सा मानें। हमें प्रकृति से जुड़ी हर प्रजाति के साथ दया और समानता का बर्ताव करना होगा, तभी पर्यावरण को बचा सकते हैं। कोरोना में नहीं बदले, तो कुदरत से भंयकर परिणाम मिलेंगे - अनुपम खेर इस पूरे कोविड में कुदरत ने हमें जता दिया कि हमारी औकात क्या है? प्रकृति ने हमें इस बात का अहसास दिला दिया कि हमें अपनी हद में रहना होगा, वरना इससे भी ज्यादा भयंकर परिणाम हो सकते हैं। एक छोटे से वायरस ने हमको जू का जानवर बना दिया है। हम जू में सलाकहों के पीछे कैद हैं और मोर तथा दुसरे प्राणी हमारे शहर की सड़कों पर आजादी से घूम रहे हैं। अभी कल ही मेरा भाई फेसटाइम पर मुझसे बात कर रहा था, तो वो यही कह रहा था कि इतना साफ हुए नीला आसमान कभी नजर नहीं आया, जितना इन दिनों दिख रहा है। समंदर में व्हेल्स नजर आ रही हैं। मतलब हमीं लोगों ने उत्पात मचाया हुआ था। मनुष्य आते-जाते रहेंगे, मगर सृष्टि बानी रहेगी।हमको सीखना पड़ेगा। लॉकडाउन ने हमें सिखाया कि किसोई भी वक्त घर से निकलने की जरूरत नहीं। दो-चार गाड़ियां भी आवश्यक नहीं। मुझे लगता है अपनी जरूरतों को सीमित और संयमित करके हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। गंदगी न फैलाना, प्लास्टिक का इस्तेमाल न करना, पानी और बिजली की बचत करना बेसिक चीजें हैं, जिनसे हम पर्यावरण को बचा सकते हैं। पर्यावरण को बचाने के लिए पशु, पक्षी और पौधे बचाने होंगे- मोना सिंह हमने इतना ज्यादा प्रदूषण और कचरा फैला दिया कि प्रकृति कब तक सहती? एक बार तो उसने फटना ही था और वो फट पड़ी। दिल्ली में वॉल्केनो आ गया, कोलकाता में सायक्लोन, मुंबई में तूफान, ये सब तो होना ही था। हमें मदर अर्थ की इज्जत करना सीखना होगा। कुछ भी ग्रांटेड नहीं लेना चाहिए। देश और दुनिया का नागरिक होने के नाते ये हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम धरती को साफ रखें। सबसे पहले तो प्लास्टिक बैन कीजिए। नल से बहते पानी को रोकिए। सड़कों पर गाड़ियों का जमावड़ा कर धुंवा निकालने से बेहतर है, सायकिल या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें। ये साड़ी चीजें हम कर सकते हैं, मगर कोई करता कहां है? हम लोग कुदरत ही नहीं बल्कि पौधों और पक्षियों के साथ भी बहुत क्रूर हो गए हैं। केरला में प्रेग्नेंट हाथी के साथ जो कुछ हुआ,वह अमानुषी था। आपको पर्यवारण को बचाने के लिए पौधे, पशु और पक्षियों को बचाना होगा। प्रकृति ने बदल लिया और घरों में बैठा दिया- शरद मल्होत्रा इंसान प्रकृति का गलत इस्तेमाल करता आया है और इसे टेकन फॉर ग्रांटेड समझता आया है। बड़े शहरों में हम प्रदूषण को काबू करने के बजाए और पेड़ और जंगल काट रहे हैं। इसलिए आज प्रकृति ने अपना बदला खुद लिया है और हम सबकों अपने घरों में बैठा दिया है। हम सभी को प्रकृति की हिफाजत करने के लिए जिम्मेदारी उठानी चाहिए। हमें पेड़ो को काटने के बजाए और पेड़ उगाने चाहिए। हम सबको अपने घरों में फल और सब्जियां उगानी चाहिए जो हमारी सेहत के लिए फायदेमंद साबित होगी। इससे हमारें पैसों की बचत भी होगी। पर्यावरण को नुक्सान पहुंचानेवाले लोगो को मिले कड़ी सजा-विवियन दसेना हम पर्यावरण को हल्के में नहीं ले सकते हैं। हमें उन लोगों के लिए सख्त कानून और जुर्माना का उपयोग करना चाहिए, जो प्रकृति को नुकसान पहुंचाते हैं और प्रदूषण फैलाते हैं। कितने लोग आज भी सूखा और गिला कचरा मिलाकर सड़कों पर फेकते हैं। इन सब पर रोक लगनी चाहिए। हमें पर्यावरण और जानवरों के प्रति क्रूरता बंद करनी चाहिए। आज दुनियाभर में पेड़ कम होते जा रहे हैं। जितना हो सके उतना हमें पेपर के बजाए ऑनलाइन चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए। लॉकडाउन के बाद नेचर संग ज्यादती नहीं कर पाएंगे -आहना कुमरा मुझे लगता है कि बीते सालों में हम खुद को लेकर इतने स्वार्थी हो गए हैं कि हमने अपने एन्वायरमेंट की जबरदस्त अनदेखी कर दी है और उसी का परिणाम हमारे सामने आ रहा है। मुझे लगता है, जो लोग एन्वायरमें, एनिमल्स और प्लांट्स के लिए पहल करते हैं, हम सभी को उनका साथ देना चाहिए। जब आप सोशल मीडिया पर आपने काम या खुद के बारे में लिखते हैं, तो पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने वाली बातें भी पोस्ट करनी चाहिए। वैसे इस लॉकडाउन में काफी लोगों को अक्ल आ गई और अब जब लॉकडाउन खतम होगा, तो लोग नेचर के साथ इतनी ज्यादती नहीं कर पाएंगे। पर्यावरण को बचाने का ढोंग करना छोड़ना होगा -पंकज त्रिपाठी पर्यावरण की रक्षा के लिए हमें सबसे पहले साथ में रहने की आदत होनी चाहिए, जिसे हम को-एग्जिस्टेंस कहते हैं। हम सभी प्रकृति का हिस्सा हैं, मगर मनुष्य एकमात्र ऐसा है, जिसके पास दिमाग है और इमेजिनेशन है। हम अपनी ग्रोथ के चक्कर में कहीं जानवरों और पेड़-पौधों का सत्यानाश न का दें। हमारे लिए जितना जरूरी कंप्यूटर और कारखाना है, उतने ही जरूरी जानवर हैं। हमने बचपन में इकोलॉजी पढ़ी थी और उसमें हमने एक चक्र के बारे में पढ़ा था। तो मुझे लगता है कि प्रकृति के उस साइकिल को हम डिस्टर्ब कर रहे हैं, जानवरों को मार रहे हैं,पेड़ काट रहे हैं। हमारी दुनिया में पेड़, पौधों के साथ-साथ सांप-बिच्छू, चूहे सभी की जरूरत है। पर्यावरण को बचाने के लिए एकजुट होकर काम करना होगा, उसे बचाने का ढोंग बंद करना होगा।


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